परेशान रहला से का फायदा बा
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परेशान रहला से का फायदा बा
जरूरत बा आफत से डटके लड़े के
सफर से ना घबरा के, खुद के सम्हारत
बा तूफाँ से टकरा के आगे बढ़े के
कदम-दर-कदम डेग आगे बढ़ावत
सफलता-विफलता के माथे चढ़ावत
दिवारन प गिर-गिर चढ़त चिउँटियन के
तरह हौसला रख के ऊपर चढ़े के
जे रूकल, जे जमकल, से गड़ही के पानी
ऊ केहू के कामे ना आई जवानी
नदी के तरह प्यास सभकर बुझावत
जरूरत बा पथ पर निरंतर बहे के
पते ना चले कब चुभल काँट कहवाँ
रखे के पड़ी कुछ नशा एह तरह के
अग र कामयाबी के चाहत बा 'भावुक'
अगर बा अमावस के पूनम करे के
1 Comments:
At 7:28 AM, Udan Tashtari said…
भोजपुरी गीतों और गज़लों की इस महफिल में बहुत मजा आ रहा है. स्वागत है आपका.
एक बार मैने भी कुछ भोजपुरी में कविता करने का प्रयास किया था, यहाँ देखें:
http://udantashtari.blogspot.com/2006/04/blog-post_25.html
उम्मीद है आगे भी आपको पढ़ते रहेंगे.
शुभकामनायें.
--समीर लाल
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