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बात खुल के कहीं, भइल बा का ?
प्यार के रंग चढ़ गइल बा का ?
रंग चेहरा के बा उड़ल काहें ?
चोर मन के धरा गइल बा का ?
हम त हर घात के भुला गइलीं
रउरा मन में अभी मइल बा का ?
आईं अबहूँ रहे के मिल-जुल के
जिन्दगी में अउर धइल बा का
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बात खुल के कहीं, भइल बा का ?
प्यार के रंग चढ़ गइल बा का ?
रंग चेहरा के बा उड़ल काहें ?
चोर मन के धरा गइल बा का ?
हम त हर घात के भुला गइलीं
रउरा मन में अभी मइल बा का ?
आईं अबहूँ रहे के मिल-जुल के
जिन्दगी में अउर धइल बा का
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