अबकी दियरी के परब अइसे मनावल जाये
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अबकी दियरी के परब अइसे मनावल जाये
मन के अँगना में एगो दीप जरावल जाये
रोशनी गाँव में, दिल्ली से ले आवल जाये
कैद सूरज के अब आजाद करावल जाये
हिन्दू, मुसलिम ना, ईसाई ना, सिक्ख ए भाई
अपना औलाद के इन्सान बनावल जाये
जेमें भगवान, खुदा, गॉड सभे साथ रहे
एह तरह के एगो देवास बनावल जाये
रोज दियरी बा कहीं, रोज कहीं भूखमरी
काश! दुनिया से विषमता के मिटावल जाये
सूप, चलनी के पटकला से भला का होई
श्रम के लाठी से दलिद्दर के भगावल जाये
लाख रस्ता हो कठिन, लाख दूर मंजिल हो
आस के फूल ही आँखिन में उगावल जाये
आम मउरल बा, जिया गंध से पागल बाटे
ए सखी, ए सखी 'भावुक' के बोलावल जाये
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अबकी दियरी के परब अइसे मनावल जाये
मन के अँगना में एगो दीप जरावल जाये
रोशनी गाँव में, दिल्ली से ले आवल जाये
कैद सूरज के अब आजाद करावल जाये
हिन्दू, मुसलिम ना, ईसाई ना, सिक्ख ए भाई
अपना औलाद के इन्सान बनावल जाये
जेमें भगवान, खुदा, गॉड सभे साथ रहे
एह तरह के एगो देवास बनावल जाये
रोज दियरी बा कहीं, रोज कहीं भूखमरी
काश! दुनिया से विषमता के मिटावल जाये
सूप, चलनी के पटकला से भला का होई
श्रम के लाठी से दलिद्दर के भगावल जाये
लाख रस्ता हो कठिन, लाख दूर मंजिल हो
आस के फूल ही आँखिन में उगावल जाये
आम मउरल बा, जिया गंध से पागल बाटे
ए सखी, ए सखी 'भावुक' के बोलावल जाये
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